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Delhi Crime: दिल्ली में सिर काटकर की गई नृशंस हत्या, आरोपी गिरफ्तार
- Photo by : social media
संक्षेप
दिल्ली: राजधानी में एक अत्यंत वीभत्स और नृशंस हत्या का मामला सामने आया है, जिसमें आरोपी ने अपने शिकार का सिर काट कर हत्या अंजाम दी। इस ऐतिहासिक अपराध की गुत्थी अब सुलझा ली गयी है,
विस्तार
दिल्ली: राजधानी में एक अत्यंत वीभत्स और नृशंस हत्या का मामला सामने आया है, जिसमें आरोपी ने अपने शिकार का सिर काट कर हत्या अंजाम दी। इस ऐतिहासिक अपराध की गुत्थी अब सुलझा ली गयी है, और आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। 5 जनवरी 2009 को पश्चिम दिल्ली के बेिंदापुर इलाके में एक कमरे के अंदर एक पुरुष का सिर-विहीन शव मिला था। शव एक लोहे के बक्से में बंद था। पोस्ट-मॉर्टम एवं फोरेंसिक जाँच में पाया गया कि हत्या के बाद आरोपी ने शरीर और सिर को अलग कर दोनों को छुपाने का प्रयास किया था। पुलिस की पड़ताल में यह पता चला कि मृतक और आरोपी के बीच वित्तीय विवाद था। आरोपी ने आरोपी साथी के साथ मिलकर पहले हत्या की, फिर साक्ष्यों को दबाने के लिए बड़े उपाय किए। इस मामले में आरोपी Ashik Ali (55) नामक व्यक्ति लगभग 16 वर्षों से फरार था। पुलिस ने उसे गुजरात के सूरत से गिरफ्तार किया। आरोपी ने छद्म नामों का उपयोग कर कई वर्ष तक अपना ठिकाना बदलते रहे और पुलिस की तलाश से बचते रहे। अब अभियोजन द्वारा धारा 302 (हत्या) व 201 (साक्ष्य को मिटाने) के तहत मामला दर्ज कर चार्जशीट दायर की जाएगी। इस तरह की वीभत्स अपराध-गत घटनाएँ न केवल पीड़ितों के परिजन में गहरा सदमा उत्पन्न करती हैं, दिल्ली में हुई इस दर्दनाक घटना ने सुरक्षा-चिंताओं को एक बार फिर ताज़ा कर दिया है। फरार आरोपी की गिरफ्तारी से कानूनी कार्यवाही की दिशा स्पष्ट हुई है, लेकिन सवाल यह है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए समुदाय-स्तर पर और एजेंसियों-स्तर पर क्या गतिविधियाँ सुनिश्चित की जाएँ। आरोपी-विरोधी कार्रवाई के साथ ही न्याय-प्रक्रिया में निष्पक्षता व शीघ्रता बनाए रखना अत्यावश्यक है।
बल्कि समाज की सुरक्षा-प्रक्रियाओं पर भी प्रश्न खड़े कर देती हैं कि इतने लंबे समय तक आरोपी कैसे बचते रहे।पुलिस-बल की जाँच-प्रक्रियाओं ने यह दिखाया है कि लंबे समय बाद भी ठोस सबूत, फॉरेंसिक विश्लेषण व खुफिया तंत्र अंततः परिणाम दे सकते हैं। इस प्रकार के मामलों में मीडिया एवं नागरिकों की जागरूकता का भी अहम योगदान है क्योंकि संदिग्ध गतिविधियों की समय-समय पर रिपोर्टिंग सुरक्षा-एजेंसियों को सक्रिय करती है।