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गुजरात: गोवा के कलाकार विजयदत्ता लोटलीकर की नारियल हस्तकला बनी आकर्षण का केंद्र

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गुजरात  Published by: Gheesaram Fuaji Choudhary , Date: 06/11/2025 04:26:46 pm Share:
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  • 06/11/2025 04:26:46 pm
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संक्षेप

गुजरात: समुद्र और नारियल की हस्तकला मेरी पहचान बन गए हैं।

विस्तार

गुजरात: समुद्र और नारियल की हस्तकला मेरी पहचान बन गए हैं। विजयदत्ता लोटलीकर, नारियल शिल्प कलाकार। एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संदेश के साथ भारत पर्व में सुनाई दी गोवा की गूंज। एकता नगर का भारत पर्व बना सांस्कृतिक एकता और कला के उत्सव का प्रतीक। गांधीनगर, 06 सितंबर एकता नगर में चल रहे ‘भारत पर्व’ के अंतर्गत देश की कला, संस्कृति, और हस्तकला की विविधताओं का जीवंत उत्सव मनाया जा रहा है। लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर एकता नगर स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में पहली बार आयोजित भारत पर्व में देश का प्रत्येक राज्य अपनी विशिष्ट परंपरा, स्वाद, संगीत और सृजनात्मकता का परिचय दे रहा है। इस सांस्कृतिक उत्सव में गोवा के हस्त शिल्प कलाकार विजयदत्ता लोटलीकर की नारियल के खोल से बनी कलाकृतियां सभी का ध्यान आकर्षित करते हुए तटीय राज्य की पहचान बन गई है। भारत पर्व में हिस्सा ले रहे नारियल शिल्प कलाकार विजयदत्ता लोटलीकर ने बताया कि एकता नगर में आयोजित भारत पर्व में भाग लेने का अवसर उनके लिए सुखद अनुभव है। यहां गुजरात के लोगों और पर्यटकों का शानदार समर्थन मिल रहा है। सभी लोगों ने हमारे उत्पादों में बहुत अधिक रुचि दिखाई है और जमकर खरीदारी भी की है।उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए अभियान ‘वोकल फॉर लोकल’ के माध्यम से स्वदेशी वस्तुओं का एक नया बाजार मिला है। भारत पर्व के जरिए हमें वैश्विक पहचान भी मिली है। उम्मीद है कि भविष्य में यहां हमारा व्यवसाय और अधिक बढ़ेगा। भारत पर्व सचमुच ही विविधता में एकता का प्रतिबिंब है, जहां हर कला, हर बोली और परंपरा साथ मिलकर भारत की एकता और रचनात्मकता की अनूठी झलक प्रदर्शित करती है। हमारे लिए भारत पर्व हस्तकला की परंपरा को आगे बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार और गौरव का माध्यम बना है। हमारे लिए एक ही मंच पर भारत की सभी कलाओं को देखना अपने आप में एक उत्सव है।

श्री लोटलीकर ने कहा कि समुद्र और नारियल के हस्तशिल्प मेरी पहचान बन गए हैं। जहां, मिट्टी और लकड़ी से बने शिल्प आम हैं, वहीं हम नारियल के खोल से दीये, आभूषण, बर्तन, लाइट शेड्स, डेकोरेटिव आर्ट की वस्तुओं जैसी अनेक कलाकृतियां बनाते हैं। हमारी हरेक कलाकृति में कारीगरों की रचनात्मकता और पर्यावरण के प्रति संवेदना की झलक दिखाई देती है। स्थानीय और विदेशी आगंतुक इन कृतियों को उत्साह से खरीदकर गोवा की परंपरा को निकट से महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के तटीय क्षेत्र के कलाकारों की कृतियां भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतिबिंब हैं। हस्त कलाकार अपने कौशल से रोजगार का सृजन कर रहे हैं और देश के प्रत्येक कोने में बनने वाले स्वदेशी उत्पाद आज दुनिया भर में भारत की पहचान बन रहे हैं। लोटलीकर ने गर्व के साथ बताया कि नारियल हस्तशिल्प ने अब भारत के साथ-साथ विदेशी बाजारों में भी अपनी मांग बनाई है। उनकी कला अब देश की सीमाएं पार कर इंग्लैंड, फ्रांस, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा तक पहुंच चुकी है और वहां से उन्हें कस्टमाइज्ड प्रोडक्ट के ऑर्डर मिल रहे हैं। विजयदत्ता लोटलीकर को उननी रचनात्मक कृतियों के लिए वर्ष 2018 में राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है, जो उनकी मेहनत औक कला के प्रति समर्पण का प्रतीक है। एकता पर्व के अंतर्गत आयोजित यह उत्सव ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संदेश को मजबूत बना रहा है। यहां लगाए गए स्टॉलों पर विभिन्न राज्यों की हस्तकला, व्यंजन और लोककलाओं का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता। 


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