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मध्य प्रदेश: सिंगरौली में अवैध मुरूम खनन का बोलबाला प्रशासन की मौन सहमति से सरकारी जमीनों की लूट जारी

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मध्य प्रदेश  Published by: Mohit Mishra , Date: 08/11/2025 10:34:43 am Share:
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  • 08/11/2025 10:34:43 am
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संक्षेप

मध्य प्रदेश: जिले में अवैध खनन का कारोबार लगातार फल-फूल रहा है। प्रशासन की सख्ती और पुलिस की चौकसी के तमाम दावों के बीच खनन माफिया खुलेआम सरकारी जमीनों को खोदक

विस्तार

मध्य प्रदेश: जिले में अवैध खनन का कारोबार लगातार फल-फूल रहा है। प्रशासन की सख्ती और पुलिस की चौकसी के तमाम दावों के बीच खनन माफिया खुलेआम सरकारी जमीनों को खोदकर मुरूम और मिट्टी की अवैध बिक्री कर रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस गोरखधंधे में शामिल लोगों को न तो स्थानीय पुलिस का डर है और न ही प्रशासनिक कार्रवाई का कोई भय। जानकारी के अनुसार, अमर कुशवाहा नामक व्यक्ति द्वारा मेडिकल कॉलेज के पीछे स्थित सरकारी भूमि पर बड़े पैमाने पर मुरूम और मिट्टी का अवैध खनन किया जा रहा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, पिछले कुछ हफ्तों से वहां लगातार जेसीबी और ट्रैक्टरों के माध्यम से मिट्टी निकाली जा रही है। प्रतिदिन दर्जनों ट्रैक्टर बिना नंबर प्लेट के मुरूम लेकर अलग-अलग इलाकों की ओर रवाना होते हैं।

जिम्मेदारों को पहुंचती है मिठाई के डिब्बे की रिश्वत स्थानीय सूत्रों का दावा है कि अमर कुशवाहा खुलेआम यह कहते हुए सुना गया है कि वह “महीने में मिठाई के डिब्बे” पहुंचा देता है, इसलिए कोई अधिकारी या थाना प्रभारी उस पर हाथ नहीं डालता। यही वजह है कि अब तक न तो राजस्व विभाग की ओर से कोई जांच हुई है और न ही खनन विभाग की टीम ने वहां छापा मारा है। यातायात थाना से लेकर कलेक्टर ऑफिस तक गुजरते हैं ट्रैक्टर सबसे हैरानी की बात यह है कि ये अवैध ट्रैक्टर यातायात थाना के सामने से गुजरते हुए खुलेआम चलते हैं। कई बार तो इन्हें जिला मुख्यालय, कलेक्टर और एसपी कार्यालय के मुख्य मार्ग से भी गुजरते हुए देखा गया है। फिर भी किसी भी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा इन्हें रोकने या जांचने की कोशिश नहीं की जाती। ऐसा प्रतीत होता है जैसे पूरी व्यवस्था ने इस अवैध खनन पर मौन सहमति दे रखी है।

यातायात थाना के पीछे से भी निकलते हैं ट्रैक्टर कुछ ट्रैक्टर चालक मुख्य सड़क से बचने के लिए यातायात थाना के पीछे वाले रास्ते से जिला पंचायत रोड की ओर निकलते हैं। इस वैकल्पिक मार्ग का उपयोग कर वे रात के अंधेरे में मिट्टी को सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंचा देते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन रास्तों से रोजाना 20–25 ट्रैक्टर गुजरते हैं, जिससे न केवल सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं बल्कि सरकारी राजस्व को भी लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। प्रशासनिक लापरवाही या संरक्षण? प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। क्या जिला प्रशासन और पुलिस विभाग को इन गतिविधियों की जानकारी नहीं है? या फिर कहीं न कहीं जिम्मेदार ही इस खेल का हिस्सा बने बैठे हैं? जनता में इस बात को लेकर गहरी नाराजगी है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद न तो खनन विभाग हरकत में आता है, न ही यातायात पुलिस कार्रवाई करती है।

जनता की मांग – हो सख्त जांच और कार्रवाई स्थानीय लोगों ने जिला कलेक्टर और एसपी से मांग की है कि मेडिकल कॉलेज के पीछे चल रहे अवैध खनन की तुरंत जांच करवाई जाए। साथ ही उन ट्रैक्टरों और संचालकों पर कार्रवाई हो जो बिना नंबर प्लेट के खुलेआम सड़कों पर दौड़ रहे हैं। अगर समय रहते इस अवैध खनन पर रोक नहीं लगाई गई, तो न केवल सरकारी संपत्ति की हानि होगी बल्कि कानून व्यवस्था पर जनता का भरोसा भी उठ जाएगा सिंगरौली जिले में अवैध मुरूम खनन की यह कहानी प्रशासनिक उदासीनता और मिलीभगत का एक और उदाहरण पेश कर रही है। सवाल अब यह है कि क्या जिम्मेदार अधिकारी इस पर अंकुश लगाएंगे या फिर “मिठाई के डिब्बों” की मिठास में ये गैरकानूनी कार्य यूं ही जारी रहेंगे? इन सभी मामलों पर जब खनिज अधिकारी आकांक्षा पटेल से बात की गई तो उन्होंने कही कि हम जल्दी  दिखवाते है। 


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