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मध्य प्रदेश: सातनूर चेक पॉइंट बना अवैध वसूली का अड्डा, आरटीओ कर्मचारी-दलालों की मिलीभगत से लूट जारी
- Photo by : SOCIAL MEDIA
संक्षेप
मध्य प्रदेश: आरटीओ विभाग की लूट इस कदर बढ़ चुकी है कि अब प्रदेश की पहचान अवैध वसूली से होने में देर नहीं लगेगी। सरकार ने भले ही चेक पोस्ट बंद कर दिए हों, लेकिन इससे
विस्तार
मध्य प्रदेश: आरटीओ विभाग की लूट इस कदर बढ़ चुकी है कि अब प्रदेश की पहचान अवैध वसूली से होने में देर नहीं लगेगी। सरकार ने भले ही चेक पोस्ट बंद कर दिए हों, लेकिन इससे आरटीओ कर्मचारियों और उनके दलालों की चांदी कट रही है। खुलेआम लूट का यह खेल इन दिनों चरम पहुंच गया है, सातनूर चेक पॉइंट वसूली का अड्डा बना हुआ है। यहां तीन कर्मचारी तैनात है जिनमें एक नितेश गुप्ता और दो महिला कर्मचारी शामिल हैं। गाड़ियों को रोककर वसूलियों का खेल तीनों कर्मचारियों आए दिन यह तीनों कर्मचारी दलालों से मिलकर दिनभर ट्रक चालकों से अवैध वसूली करते हैं। हालांकि सरकार को दिखाने के लिए कुछ वाहनों पर चालानी कार्रवाई भी करते है। बाकी माल ऊपर और उसमें से आधा वसुली वाला माल घर पहुंच रहा है। यही नहीं, इनके साथ कुछ दलाल भी सक्रिय हैं जो दिनरात सरकारी बाबू बनकर सड़क पर वसूली का खेल खेलते हैं। हाल ही मामला चर्चाओं में आने पर कुछ दलालों को हटाया गया था, लेकिन मामला शांत होते ही फिर वही चेहरे लौट आए हैं और अब तो नई टीम भी तैयार हो चुकी है। चेकिंग के नाम पर ट्रक चालकों से हजारों रुपये तक की उगाही खुलेआम हो रही है। सुबह से शाम तक कर्मचारी लूटते हैं और रात में पूरा चेक पॉइंट दलालों के हवाले कर दिया जाता है। शाम होते ही ये ड्यूटी दलालों को सौंप देते हैं, जो रातभर सरकारी कर्मचारियों की तरह खड़े होकर चालकों से रुपये ऐंठते हैं। प्रदेश में यह कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि आरटीओ की यह वसूली व्यवस्था अब संगठित भ्रष्टाचार का चेहरा बन चुकी है। मध्यप्रदेश की सड़कों पर ट्रकों से ज्यादा तेजी से भ्रष्टाचार दौड़ रहा है। सातनूर चेक पॉइंट पर भ्रष्टाचार का सिंडिकेट बन चुका है। आरटीओ विभाग की लूट अब किसी से छिपी नहीं है खुलेआम ट्रक चालकों से वसूली, दिन में अफसर और रात में दलालों की टीम वाहन चालकों को लूट रहा है। सातनूर चेक पॉइंट अब अवैध उगाही केंद्र बन चुका है, जहां आरटीओ के कर्मचारी और दलाल मिलकर सरकार की साख को सरेआम बेच रहे हैं। चेकिंग के नाम पर हो रही यह वसूली इतनी संगठित है कि हर ट्रक से तय रेट वसूला जाता है। जो नहीं देता, उसका चालान या वाहन रोककर घंटों परेशान किया जाता है।
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