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उत्तर प्रदेश: गाज़ीपुर में साहित्य चेतना समाज’ का 40वां स्थापना दिवस मनाया गया

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उत्तर प्रदेश  Published by: Ramkesh Vishwakarma , Date: 06/11/2025 11:08:22 am Share:
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  • 06/11/2025 11:08:22 am
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संक्षेप

उत्तर प्रदेश: गाज़ीपुर-मे 'साहित्य चेतना समाज' के 40वें स्थापना-दिवस के अवसर पर नगर के वंशी बाजर-स्थित रघुवंशी पैलेस के सभागार में एक विशिष्ट कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया।

विस्तार

उत्तर प्रदेश: गाज़ीपुर-मे 'साहित्य चेतना समाज' के 40वें स्थापना-दिवस के अवसर पर नगर के वंशी बाजर-स्थित रघुवंशी पैलेस के सभागार में एक विशिष्ट कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आजमगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश बरनवाल 'कुंद' को 'चेतना सम्मान' से सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ गीतकार डाॅ.ईश्वरचन्द्र त्रिपाठी ने की और मुख्य अतिथि शासकीय अफीम एवं क्षारोद कारखाना, गाजीपुर के महाप्रबन्धक, आई.आर.एस. दौलत कुमार रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ माॅं बागेश्वरी,विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती के पूजन-अर्चन एवं दीप-प्रज्वलन से हुआ। चंदौली से पधारीं कवयित्री रीना तिवारी की सरस्वती वन्दना के उपरान्त संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी 'अमर' ने आगंतुकों का वाचिक स्वागत किया, साथ ही संस्था के 40 वर्षों की सुदीर्घ-सार्थक यात्रा पर प्रकाश डाला। तत्क्रम में मंचस्थ साहित्यिक विभूतियों एवं कविगण का माल्य, अंगवस्त्रम् एवं सम्मान-पत्र के द्वारा स्वागत किया गया। चेतना सम्मान' से सम्मान से सम्मानित, बीसाधिक महत्त्वपूर्ण कृतियों के रचनाकार जगदीश बरनवाल 'कुंद' ने अपने वक्तव्य में साहित्य, संस्कृति, समाज एवं राष्ट्र की, 

समर्पण भाव से निस्पृह सेवा करने वाली इस संस्था की भूरिश: प्रशंसा की और समाज एवं राष्ट्र को सही दिशा देने में साहित्य की महती भूमिका को रेखांकित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दौलत कुमार ने कहा कि "साहित्य चेतना समाज के इस महनीय कार्य को आने वाला समय स्वर्णाक्षरों में रेखांकित करेगा। ऐसी संस्थाऍं समय-समय पर अपने महत्तर कार्य द्वारा सामाजिक चेतना में स्तरोन्नयन के साथ ही व्यक्ति-व्यक्ति में पुष्कल राष्ट्रहित-चेतना जागृत करतीं हैं।अगले क्रम में सुदूरवर्ती जनपदों से पधारे कवि-कवयित्रियों ने देर रात तक चले इस विशिष्ट कवि-सम्मेलन में श्रोताओं को काव्य-रस से आप्लावित किया। चंदौली से पधारे कवि कृष्णा मिश्रा के मुक्तकों को श्रोताओं ने खूब प्रशंसित किया "अपनो से कभी जीत करके हारना भी है/फिर हार करके जीतने का नाम ज़िन्दगी"। चंदौली की गीत की कवयित्री रीना तिवारी ने "यूॅं तो दुनिया में अपने बहुत हैं मगर/माॅं से बढ़कर जमाने में कोई नहीं" सुनाकर अतिशय प्रशंसा अर्जित की। इसी क्रम है देवरिया के हास्य-व्यंग्य के युवा कवि रुद्रनाथ त्रिपाठी 'पुंज' ने अपनी कविता "जय हो पत्नी,जय हो पत्नी/मेरे बच्चों की माता" सुनाकर ख़ूब वाहवाही बटोरी। वाराणसी की कवयित्री विदुषी साहाना ने अपना गीत "उन्मुक्त नयन के दर्पण में मैंने तेरी छवि उतार ली" प्रस्तुत कर श्रोताओं को रससिक्त कर दिया। बेगूसराय के श्रेष्ठ ग़ज़ल-गो मासूम राशदी ने अपनी ग़ज़ल "ये हमसे पूछिए क्या-क्या फ़रोख़्त करना पड़ा/बड़े से शहर में 

छोटे से एक घर के लिए" सुनाकर अतीव प्रशंसित रहे। बलिया के कवि शशिप्रेमदेव ने अपनी ग़ज़ल "घर में आज भले ही मेरे जगह ना हो उसकी कोई/मेरे अन्दर लेकिन अब भी पहले से ज्यादा है वो" प्रस्तुत कर खूब तालियाॅं अर्जित की। बलिया के कवि श्वेतांक सिंह, डॉ.नवचन्द्र तिवारी, वाराणसी के कवि राजकुमार 'आशीर्वाद' ने अपने काव्यपाठ से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।अन्त में अध्यक्षीय काव्यपाठ करते हुए आजमगढ़ के वरिष्ठ गीतकार डॉ.ईश्वरचन्द्र त्रिपाठी ने अपने मुक्तकों एवं गीतों के सस्वर पाठ से श्रोताओं मंत्रमुग्ध कर दिया। बतौर बानगी- "सिकन्दर बन के जो इन बस्तियों पर कहर बरपाये/उन्हें सुकरात कहता हूॅं, मुझे कुछ हो गया है क्या"।  इस अवसर पर प्रमुख रूप से संस्था के अध्यक्ष डाॅ.रविनन्दन वर्मा,सचिव हीरा राम गुप्ता, उपाध्यक्ष संजीव गुप्त, कोषाध्यक्ष राजीव मिश्र, राघवेन्द्र ओझा,विपिनबिहारी राय,अमित राज, पंकज राय, अर्चना तिवारी,डॉ.अरविन्द दूबे, अमरनाथ सिंह, डॉ.पी.एन.सि़ह, डॉ.रमाशंकर लाल, डॉ.अम्बिका पाण्डेय,प्रो.अमरनाथ राय, डॉ.राजेन्द्र सिंह राजपूत, कृष्णबिहारी राय, विनोद अग्रवाल,सहजानन्द राय,आनन्द प्रकाश अग्रवाल, नागेश मिश्र, हरिशंकर पाण्डेय, दिनेशचंद्र शर्मा, डॉ.सन्तोष कुमार तिवारी,गोपाल गौरव, आकाश विजय त्रिपाठी, आशुतोष श्रीवास्तव, संगीता तिवारी,शालिनी श्रीवास्तव,सीमा सिंह, रागिनी त्रिपाठी, सुमनलता गुप्त,डाॅ.विनीता राय,वीरेन्द्र चौबे, विद्युत प्रकाश,लालजी गुप्ता,आदि उपस्थित रहे।कार्यक्रम का आरम्भिक संचालन नवगीतकार डॉ.अक्षय पाण्डेय ने एवं कवि-सम्मेलन का सफल संचालन हास्य-व्यंग्यकार डॉ.नागेश शाण्डिल्य ने किया। अन्त में संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम के स्थगन की घोषणा की।


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