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उत्तर प्रदेश: देवता का आमंत्रण व राक्षसों का निवारण, शारदीय नवरात्र 2025 पर विशेष, मंदिर मे प्रवेश से पहले क्यों बजाई जाती है घंटी
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संक्षेप
उत्तर प्रदेश: मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाना एक पारंपरिक परंपरा है, जिसे लगभग हर भक्त निभाता है. बहुत से लोग इसे सिर्फ रीति-रिवाज मानते हैं, लेकिन इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक
विस्तार
उत्तर प्रदेश: मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाना एक पारंपरिक परंपरा है, जिसे लगभग हर भक्त निभाता है. बहुत से लोग इसे सिर्फ रीति-रिवाज मानते हैं, लेकिन इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण छुपा हुआ है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, घंटी की ध्वनि एक विशेष ऊर्जा कंपन उत्पन्न करती है। यह कंपन वातावरण से नकारात्मक तरंगों को दूर कर पवित्रता का संचार करता है। जब भक्त मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाता है, तो यह केवल देवताओं को बुलाने का संकेत नहीं होता, बल्कि हमारी चेतना को भी जागृत करने का एक माध्यम बन जाता है। मन में चल रही व्यर्थ की चंचलता शांत होकर दिव्य शक्ति की ओर केंद्रित हो जाती है।
आध्यात्मिक दृष्टि से माना जाता है कि घंटी की गूंज ओम ध्वनि जैसी कंपनी उत्पन्न करती है, जो पूरे शरीर और मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। यह ध्वनि मन को प्रार्थना के अनुकूल और एकाग्र बनाती है. कहा गया है कि जब तक घंटी की ध्वनि सुनाई देती है, तब तक हमारी आत्मा भगवान के प्रति जागरूक रहती है।
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