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उत्तर प्रदेश: सोनभद्र में धूमधाम से मना स्नान-दान का पर्व महासंक्रांति
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संक्षेप
उत्तर प्रदेश: मकर संक्रांति का पर्व मंगलवार को जिलेभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दिन श्रद्धालुओं ने विभिन्न नदी तटों पर स्नान किया और ब्राह्मणों को दान कर पुण्य कमाया। दिनभर आस्था का जनसैलाब देवी स्थलों और नदी तटों पर देखा गया। सुबह-सुबह लोग नदी में स्नान करने पहुंचे और वहां सूर्य देव को अर्ध्य देकर अपने परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की। मकर संक्रांति का पर्व सामाजिक सौहार्द का प्रतीक होता है, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोग ए....
विस्तार
उत्तर प्रदेश: मकर संक्रांति का पर्व मंगलवार को जिलेभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दिन श्रद्धालुओं ने विभिन्न नदी तटों पर स्नान किया और ब्राह्मणों को दान कर पुण्य कमाया। दिनभर आस्था का जनसैलाब देवी स्थलों और नदी तटों पर देखा गया। सुबह-सुबह लोग नदी में स्नान करने पहुंचे और वहां सूर्य देव को अर्ध्य देकर अपने परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की। मकर संक्रांति का पर्व सामाजिक सौहार्द का प्रतीक होता है, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोग एक साथ आकर खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस दिन कई स्थानों पर खिचड़ी सहभोज का आयोजन भी किया गया, जिससे लोगों ने एकजुट होकर इस पर्व का आनंद लिया। जिले के विभिन्न स्थानों जैसे घोरावल, मधुपुर, चोपन, डाला, रेणुकूट, पिपरी, शक्ति नगर, बीजपुर, बभनी, दुद्धी, अमवार, विंढमगंज, कोन सहित अन्य क्षेत्रों में श्रद्धालुओं ने नदी के तटों पर स्नान कर गरीबों को दान दिया। इसके बाद दोपहर 2 बजे के बाद लोग मेले की ओर रुख करने लगे, जहां विभिन्न आकर्षक स्टॉल, झूले और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लिया। दुद्धी के कनहर-ठेमा नदी के तट पर सूर्य नारायण को अर्ध्य देने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। इस अवसर पर परिवारों ने बैठकर पारंपरिक तरीके से भोजन किया, जो ग्रामीण संस्कृति और परंपरा का जीवंत उदाहरण था। यहां का मेला अत्यंत ऐतिहासिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है, जहां हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मेला अब न केवल धार्मिक बल्कि व्यापारिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बन चुका है, जहां झारखंड और यूपी के कई छोटे-बड़े व्यवसायी अपनी दुकानें लगाते हैं। इस मेले के कारण रीवा-रांची हाईवे के कनहर पुल पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिसे संभालने के लिए पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहता है। सोनभद्र में इस महासंक्रांति पर्व ने न केवल धार्मिक आस्था को बल दिया बल्कि सामाजिक मेलजोल और परंपराओं को भी सहेजने का संदेश दिया।